इनपुट उपकरण इकाईयाँ
Input Devices : इनपुट उपकरण वे उपकरण हैं जिनका प्रयोग कम्प्यूटर को डाटा तथा निर्देश प्रदान रकने में किया जाता है। सामान्यत कम्प्यूटर में दो प्रकार के इनपुट उपकरण प्रयुक्त किए जाते हैं-
प्राथमिक इनपुट उपकरण
ये वह इनपुट उपकरण हैं जो सामान्यतः प्रत्येक कम्प्यूटर में अनिवार्यतः उपलब्ध होते है तथा इनके बिना कम्प्यूटर का सहज संचालन नहीं किया जा सकता है जैसे- की-बोर्ड तथा माउस।
द्वितीयक इनपुट उपकरण
ये वह इनपुट उपकरण है जिनके बिना कम्प्यूटर को संचालित तो किया जा सकता है परन्तु विशेष प्रकार का डाटा कम्प्यूटर में प्रविष्ट कराने में इनका प्रयोग किया जाता है जैसे लाइट पैन, स्कैनर, जॉयस्टिक आदि। कई इनपुट उपकरणों जैसे माउस, जॉयस्टिक, लाइन पैन, को कर्सर कन्ट्रोल इकाई या कर्सर पाइंटिंग डिवाइस भी कहा जाता है क्योंकि इनका प्रयोग स्क्रीन पर कर्सर का नियंत्रण करने में किया जाता है।
की-बोर्ड (Keyboard)
वर्तमान में इनपुट के लिए यह सबसे अधिक प्रचलित माध्यम है, यह उपयोग करने में अत्यन्त सरल तथा अधिक गति से इनपुट कर सकने वाला उपकरण है । यह यंत्र टाइपराइटर जैसा होता है। प्रत्येक टाईप किया गया अक्षर / कैरेक्टर, कम्प्यूटर की मेमोरी में चला जाता है। वर्तमान में की-बोर्ड कई आकार प्रकार तथा रंगों में उपलब्ध होते हैं सामान्यत की-बोर्ड आयताकार रूप में उपलब्ध होता है जिस पर 105, 108 या अधिक कुंजियां होती हैं। सामान्यत यह तीन या चार भिन्न समूहों में विभाजित हैं। प्रमुख इनमें मुख्य कुंजी पटल, आंकिक कुंजी पटल, फंक्शन कुंजी पटल तथा दिशा निर्देशक कुंजी पटल के समूहों में रहती हैं। यह कुंजी पटल सीरियल (Serial), PS2 या USB प्रकार के कनेक्टर से CPU से जुड़ा होता है। वर्तमान में PS2 तथा USB कनेक्टर का प्रयोग अधिकता से है अब अत्याधुनिक कम्प्यूटरों में इंफ्रारेड सिद्धांत पर कार्य करने वाले बिना तार के (cardless) की- बोर्ड भी उपलब्ध हैं।
अल्फान्यूमेरिक कुंजियां – वर्णमाला के अक्षर (A-Z) तथा अंक (0 – 9) तथा विशेष चिन्ह जैसे #, $, %, &, *, @ (, ), {, }, [, ] इत्यादि। सामान्यत यह कुंजिया QWERTY क्रम मे होती है जो अंग्रेजी की-बोर्ड का मानक क्रम हैं। इन पर चार विशिष्ट कुंजियाँ TAB, Caps Lock तथा Back Space तथा Enter भी होती हैं जिनके द्वारा निर्दिष्ट कार्य किये जा सकते हैं।
विभिन्न आकार-प्रकार के की-बोर्ड
- मॉडिफायर कुंजियां (Modifier Keys ) – की-बोर्ड पर सामान्यत तीन विशिष्ट कुंजियां होती हैं जिन्हें मॉडिफायर कुंजियों के रूप में जाना जाता है यह Alt+Ctrl तथा Shift होती हैं इन्हें अकेला दबाने पर कोई कार्य नहीं होता है किन्तु अन्य कुंजियों के साथ दबाने पर विशिष्ट कार्य संपादित किए जा सकते हैं जैसे Ctrl+C का प्रयोग सामान्यत कॉपी करने में होता है।
- न्यूमैरिक कुंजीपटल (Numeric Keys ) – न्यूमैरिक कुंजी पटल का उद्देश्य अंकों को तेजी से इनपुट करवाने के लिए किया जाता है। इसमें 17 कुंजियां होती हैं जिसमें 0-9 तक आंकिक कुंजी, तथा कुछ विशेजा कुंजियां PgUp, PgDn, Home, End आदि होती हैं। इस कुंजी पटल का प्रयोग विशिष्ट कुंजी Numlock दबाकर किया जा सकता है।
- कर्सर नियंत्रक कुंजियां (Cursor Control Keys)- इनमें चार कुंजियां होती हैं जिन्हें दिशा निर्देश कुंजियां भी कहा जाता है यह हैं कर्सर को ऊपर ( ↑ ) या नीचे ( / ) ले जाने के लिए या कर्सर को आगे ( 7 ) या पीछे (← ) करने के लिए।
- फंक्शन कुंजियां (Function Keys ) – मुख्य की-बोर्ड के ऊपरी हिस्से में लगभग 12-13 कुंजियां होती हैं जिन पर F1, F2… IF 13 प्रिंट होता है यह कुंजियां किसी विशेजा फंक्शन के लिए प्रोग्रामि होती हैं इनका उपयोग प्रत्येक सॉप्टवेयर में भिन्न-भिन्न हो सकता है। सामान्यत जैसे F1 कुंजी Help प्रदान करने के लिए प्रयुक्त की जाती है।
- विशिष्ट उद्देश्य कुंजियां (Special Purpose Keys ) – वर्तमान में की-बोर्ड में कुछ विशिष्ट कुंजियां भी पाई जाती हैं जिनका उद्देश्य विशिष्ट होता है जैसे Sleep – कम्प्यूटर को पॉवर सेव मोड में डालने के लिए Power कम्प्यूटर को चालू या बंद करने के लिए Volume – स्पीकर ध्वनि को बढ़ाने या कम करने के लिए आदि।
माउस ( Mouse)
यह वर्तमान में पर्सनल कम्प्यूटर के सर्वाधिक प्रचलित इनपुट माध्यमों में से एक है। चूहे के जैसा आकार होने के कारण इसे माऊस कहा जाता है। यह वास्तव में एक कर्सर नियंत्रक तथा पाइंटिग डिवाइस है। इसके द्वारा सामान्यत: किसी प्रकार का डाटा (पाठ्य या आंकिक ) प्रविष्ट नहीं किया जा सकता है। इसका उपयोग विंडोज आधारित पर्सनल कम्प्यूटरों पर निर्देश प्रचालित करने हेतु किया जाता है। चूहे जैसे आकार के इस उपकरण के कम्प्यूटर की सीरियल पोर्ट से जोड़ा जाता है। इसे एक माऊस पैड पर रखकर धीरे-धीरे इधर-उधर हिलाया जाता है। माऊस की निचली सतह पर एक बॉल के हिलनें के अनुरूप, क्रीन पर कर्सर अपना स्थान बदलता है। जब कर्सर निर्धारित स्थान पर पहुँच जाता है, माऊस बटन को क्लिक कर हम निर्देश का चयन कर निर्देश प्रचालित करते हैं।
माउस स्क्रीन के किसी विशेष लोकेशन पर प्रदर्शित पाठ्य को चयन करने के कार्य आता है। इस चयन प्रक्रिया में सिर्फ चयन प्रयोक्ता के लिए इसे उपयोगी नहीं बनाता है, बल्कि उन चार मुख्य कार्यों को करना, जिन्हें आप की-बोर्ड की सहायता से इतनी सहजता से नहीं कर सकते हैं। ये चार मुख्य कार्य निम्न हैं-
- डबल क्लिकिंग (Double Clicking)
- दायाँ क्लिकिंग (Right Clicking)
- ड्रेगिंग (Dragging)
माउस प्राय तीन प्रकार के होते हैं:-
- मैकेनिकल या यांत्रिक माउस (Mechanical Mouse) – पूर्व में प्रयुक्त अधिकतर माउस मैकेनिकल या यांत्रिक ही होते थे। इसमें एक रबड़ बॉल (Rubber ball) होता है जो माउस के खोल (case) के नीचे निकला हुआ होता है। जब माउस को सतह पर घुमाते हैं तब बॉल उस खोल के अंदर घूमता (Roll) है। माउस के अंदर बॉल के घूमने से उसके अन्दर के सेन्सर्स (Censors) कम्प्यूटर को संकेत भेजते हैं। इन संकेतों में बॉल के घूर्णन की दूरी, दिशा तथा गति सम्मिलित होती है। इस डाटा के आधार पर कम्प्यूटर क्रीन पर प्वाइंटर को निर्धारित करता है।
- प्रकाशीय माउस (Optical Mouse) – प्रकाशीय माउस एक नये प्रकार का नॉन-मैकेनिकल माउस (Non-mechanical Mouse) है। इसमें प्रकाश की एक बीम (a beam of light) इसके नीचे की सतह से उत्सर्जित होती है। जिसके परावर्तन (reflection of light) के आधार पर यह ऑब्जेक्ट (जिस पर प्रक्रिया करनी है) की दूरी, दिशा तथा गति तय करता है।
- तार रहित ( वायरलैस ) माउस – तार रहित माउस (Cordless Mouse) तार रहित (Cordless ) माउस सबसे उन्नत प्रकार का माउस है जो आपको तार के झँझट से मुक्ति देते हैं। यह रेडियो फ्रीक्वेन्सी (Radio frequency) तकनीक की सहायता से आपके कम्प्यूटर को सूचना संचारित (Communicate) करते हैं। इसमें दो मुख्य कम्पोनेन्ट्स (Components); ट्रॉन्समीटर (transmitter) तथा रिसीवर (receiver) होते हैं। ट्रॉन्समीटर माउस में होता है जो इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक सिग्नल (Electromagnetic signal) के रूप में माउस की गति तथा इसके क्लिक किये जाने की सूचना भेजता है । रिसीवर (receiver) जो आपके कम्प्यूटर से जुड़ा होता है, उस सिग्नल को प्राप्त करता है, इसे डिकोड ( decode) करता है तथा इसे माउस ड्राइवर सॉप्टवेयर तथा ऑपरेटिंग सिस्टम को भेजता है । रिसीवर अलग से जोड़ा जाने वाला एक संयंत्र भी हो सकता है तथा इसको मदर बोर्ड के किसी स्लॉट (Slot) में कार्ड के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। कुछ कम्प्यूटर में यह अन्तनिर्मित भी होता है।
स्कैनर (Scanner)
स्कैनर एक इनपुट इकाई है। सामान्यत इसका उपयोग किसी ग्राफिक्स या फोटो को कम्प्यूटर में इनपुट करने हेतु किया जाता है । उन्नत स्वरूप में स्कैनर का प्रयोग प्रिंट स्वरुप में उपलब्ध पाठ्य (Text) को सीधे कम्प्यूटर में इनपुट कराने में होता है जिसे ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकोगनिशन या संक्षिप्त में OCR कहते हैं। इसका मुख्य लाभ यह है कि यूजर को सूचना टाइप नहीं करनी पड़ती है।
सामान्यत स्कैनर्स इमेज स्कैनर (Image Scanners) होते हैं जो किसी चित्र, फोटोग्राफ, आकृति आदि को कम्प्यूटर की मेमोरी में डिजिटल (Digital ) अवस्था में इनपुट करते हैं। स्कैनर दो प्रकार के होते हैं। फ्लैट बेड (Flat bed ) स्कैनर तथा हैंड हेल्ड स्कैनर । फ्लैट बेड स्कैनर दिखनें में फोटोकॉपी मशीन की तरह होते हैं। जिनमें कि दस्तावेज रख दिया जाने पर वे उसे स्कैन कर लेते हैं। हैंड हैल्ड स्कैनर दिखनें में माउस की तरह होता है जिसे कि स्कैन किये जाने वाले दस्तावेज पर हाथ से घुमाना पड़ता है। आजकल पी.सी. के लिए अनेक प्रकार के स्कैनर उपलब्ध हैं जिनकी रेजोलूशन (Resolution) 300 dpi (dot per inch) से प्रारम्भ होती है। यहाँ रेजोलूशन (Resolution) से अभिप्राय उस चित्र की स्पष्टता से है जिसे स्कैन (Scan) किया जाता है। इकाई क्षेत्रफल में चित्र के बिन्दुओं की संख्या रेजोलूशन (Resolution) कहलाती है। सामान्यत प्लैट बैड स्कैनर का प्रयोग किया जाता है जिसमें स्कैनिंग स्वचालित ढंग से होती है। स्कैनर में स्रोत (Source) पृष्ठ को स्कैनर की समतल सतह पर रख दिया जाता है। इसमें लगे लेन्स और प्रकाश स्रोत के द्वारा चित्र को फोटोसेन्स ( Photosense) करके बाइनरी कोड में बदलकर कम्प्यूटर की मेमोरी में पहुंचा दिया जाता है, जिसे कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखाता है। यदि हम इस स्कैन (Scan) किये गये चित्र को संशोधित करना चाहें तो कर सकते हैं।
कैरेक्टर रीडर
कैरेक्टर (Character Reader) या कैरेक्टरों को वाले यंत्र छपे हुए अथवा हस्तलिखित अक्षरों को ग्रहण करने में समर्थ होते हैं। ये स्रोत अभिलेखों से कैरेक्टर्स ग्रहण कर उन्हें कम्प्यूटर द्वारा ग्रहण किये जा सकने वाले कोड में परिवर्तित कर उन्हें संसाधन योग्य बनाते हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा एक मिनिट में 300 से लेकर 2000 स्रोत अभिलेखों को पढ़ा जा सकता है।
सामान्यतः इसके लिए निम्न तकनीकें अपनाई जाती हैं-
- मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकगनिशन (MICR)
- ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकगनिशन (OCR)
- मार्क सेंसिंग तथा ऑप्टिकल मार्क रीडिंग (OMR) (द) बार कोडिंग (Bar-coding)
मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रिकगनिशन (MICR)
अमेरिका” के उपयोग के लिए किया गया था। इस तकनीक में विशेष प्रकार के अक्षर एक विशेष टाइपराइटर की सहायता से, चुम्बकीय पदार्थयुक्त स्याही से अभिलेखों पर उभारे जाते हैं। इस प्रकार तैयार किए गए अभिलेखों को किसी पठन योग्य उपकरणो में भेजने से पूर्व एक चुम्बकीय क्षेत्र से गुजारा जाता है जिनसे कैरेक्टर्स पहचानकर अभिलेखों के वास्तविक होने की जांच की जाती है। इस प्रकार के उपकरणों से 50-60 अभिलेख प्रति सैकण्ड पढ़े जा सकते हैं। एम.आई.सी. आर. तकनीक का सर्वाधिक उपयोग बैंकों में किया जाता है। बैंक या ड्राप्ट पर ग्राहक खाता संख्या, ब्राँच कोड, राशि तथा चैक / ड्राप्ट नंबर होता है । इस प्रकार के चैकों/ड्राप्ट पर अंकित जानकारी की तुलना पहले से संचित डाटा व सूचना से की जाती है, जिससे उसकी सत्यता की जाँच की जाती है। इस तकनीक का उपयोग भारत के लगभग समस्त बैंक कर रहे हैं। विश्वभर में MICR युक्त सिक्योरिटी दस्तावेजों का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। आजकल स्टॉम्प पेपर पर भी MICR नम्बर उपलब्ध होता है जिससे इनकी असलियत का पता चलता है। विश्व स्तर पर MICR अंक लिखने के लिए दो फोन्ट्स E-13B तथा CMC-7 मानक फोन्ट्स हैं। ए
एम.आई.सी.आर. के लाभ इस प्रकार हैं:-
- स्वचालित तथा विश्वसनीय परीक्षण युक्ति।
- अभिलेख पर अंकित डाटा मनुष्य द्वारा भी पठनीय ।
एम.आई.सी.आर. के कुछ दोष भी हैं :-
- पूर्णत: स्वचालित युक्ति नहीं हैं। चैक / ड्राप्ट की राशि ( या कुछ अन्य डाटा) उपयोग करते समय अंकित किया जाता है।
- अत्यन्त सावधानीपूर्वक उपयोग करना आवश्यक है अन्यथा मशीन द्वारा परीक्षण से इंकार ।
- कुल 14 कैरेक्टर्स ही उपलब्ध ।
ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकगनिशन (OCR)
इस तकनीक में ऑप्टिकल या लेजर स्कैनर की सहायता से छपे हुए, टाइप या हस्तलिखित पत्र अत्यधिक तीव्र गति (लगभग 300 पेज प्रति घंटे) से पढ़े जाते हैं। ये कैरेक्टर्स को पहचानते हैं, उनको मशीन कोड में परिवर्तित करते हैं तथा उनको आगे के उपयोग के लिए या तो मैगनेटिक टेप/डिस्क पर संग्रहित कर लेते हैं या सीधे ही कम्प्यूटर को इनपुट के रूप में दे देते हैं। इस युक्ति में सामान्यतः अधिकांश मशीनें अभी भी आंग्रेजी या कुछ मुख्य भाषाएं ही समझते में सक्षम हैं। ऑप्टिकल कैरेक्टर्स रीडर बड़े(Capital) तथा छोटे(Small) दोनों प्रकार के अक्षरों को, अंकों को या कुछ विशेष संकेतों को पढ़ने में समर्थ होते हैं। ये यंत्र लाइट स्कैनिंग विधि से विशेष प्रकार के छपे हुए, टाइप किये हुए या हस्तलिखित अक्षरों या संकेतों को पढ़ने में सक्षम होते हैं।
ओ.सी.आर. तकनीक उन संस्थाओं में मुख्य रूप से उपयोग में लाई जाती है जहां अधिक मात्रा में बिल बनाने का कार्य होता है, जैसे टेलीफोन बिल, बीमा किश्त का नोटिस, मीटर रीडिंग फार्म (गैस या बिजली का) तथा सुपर मार्केट के विक्रय स्थानों पर। कभी-कभी ओ. सी. आर. के अक्षरों तथा हस्तलिखित अक्षरों दोनों के सम्मिश्रण का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए क्रेडिट कार्ड सिस्टम में कार्ड की विस्तृत जानकारी ओ सी । आर। में अक्षरों में छपी होती हैं, जबकि राशि हस्तलिखित अक्षरों में। ऑप्टिकल
कैरेक्टर रिकगनिशन के लाभ इस प्रकार हैं-
- स्वचालित स्रोत डाटा प्रविष्टि का एक साधन ।
- डाटा मनुष्य द्वारा भी पठनीय ।
- विस्तृत क्षेत्र में उपयोगी।
- प्रयोग में सरल ।
ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकगनिशन के दोष भी हैं-
- विशेष प्रकार के छपे हुए या हस्तलिखित अक्षर ही ग्रहण किये जा सकते हैं।
- ओ.सी.आर. से संबंधित कार्य-पद्धति तथा उपकरण काफी मंहगे होते हैं।
ऑप्टिकल मार्क रीडिंग (OMR)
ऑप्टिकल मार्क रिकगनिशन ( Optical Mark Recognition) तकनीक का प्रयोग मुख्यतः किसी परीक्षा में प्राप्तांक ज्ञात करने के लिए या सरल शब्दों में उत्तर – पत्रक जांचने के लिये होता है। संलग्न चित्र में एक विशेष प्रकार का उत्तर – पत्रक दिखाया गया है जो कई प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रयुक्त होता है। यह उत्तर-पत्रक चित्र में दिखाये विशेष प्रकार से ही चिन्हित किया जाता है। यह उत्तर- पत्रक ऑप्टिकल मार्क पेज रीडर नामक यंत्र की सहायता से पढ़ा जाता है, तथा सूचनाएं कम्प्यूटर को प्रेषित कर दी जाती हैं। कम्प्यूटर से संबंधित होने पर (ऑन लाइन) यह 2,000 पेज प्रति घंटे की दर से पढ़ सकता है। ओ.एम.आर. का उपयोग अन्य कई अनुप्रयोगों में किया जाता है। जैसे सर्वे, रिसर्च, पे- रोल(Payroll) या इनवेन्ट्री नियंत्रण (Inventory Control) और बीमा की प्रश्नोत्तरी इत्यादि।
बार कोडिंग (Bar Coding) :
क्रमागत् रूप से पंक्तियों तथा खाली स्थान के माध्यम से डाटा को बायनरी अंकों के रूप में दस्तावेजों पर, पुस्तकों पर या प्लास्टिक पट्टियों पर अंकित किया जाता है। जब इन पंक्तियों पर से “लाइट पेन” गुजारा जाता है तब यह डाटा सीधे ही सम्बद्ध कम्प्यूटर को प्रेषित हो जाता है। बार- कोडिंग वर्तमान में उपभोक्ता वस्तुओं पर सामान्य रूप से अंकित की जाने लगी है। इनके माध्यम से स्टॉक क्रमांक इत्यादि की जानकारी उपभोक्ता को प्रदान की जाती है।
प्रयोग डिपार्टमेंटल स्टोर्स में तथा कम्प्यूटर पर आधारित पुस्तकालयों में होता है। पुस्तकालयों में प्रत्येक पुस्तक पर बार-कोड अंकित होते हैं। इन दोनों प्रयोगों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानक कोड प्रदान किये गये हैं। निर्माता, उनके द्वारा निर्मित वस्तुओं पर इसके द्वारा बैच नंबर, मूल्य आदि प्रिंट करते हैं। डिपार्टमेंटल स्टोर्स के लिए इसे “यूनिवर्सल प्रोडक्ट कोड कहा जाता है। पुस्तकालयों के लिए यह मानक कोड आई.एस.बी.एन. (ISBN) कहलाता है।
क्विक रिस्पांस कोड ( क्यूआर कोड)
क्यूआर कोड शब्द क्विक रिस्पांस कोड का संक्षिप्त रूप है। सरल शब्दों में, ये चौकोर (स्क्वायर) बार कोड होते हैं जो सबसे पहले जापान में ऑटोमोटिव उद्योग के लिए विकसित तथा प्रयोग किये गए थे। इसका प्रयोग जानकारी को प्रयोगकर्ता से स्मार्टफोन पर भेजने के लिए किया जाता है, ये बहुत सारी
का संग्रहित कर सकते हैं जैसे कैलेंडर के कार्यक्रम, फ़ोन नंबर, टेक्स्ट संदेश, उत्पाद विवरण और ईमेल संदेश इत्यादि। ये उन्नत और मशीनों के पढ़ने योग्य “यूपीसी बारकोड / की तरह कार्य करते हैं एवं उत्पादों के पैकेजिंग, व्यवसाय विंडो, बिलबोर्ड, साइनबोर्ड, व्यवसायिक कार्ड और विज्ञापनों पर प्रयोग किये जा सकते हैं और उत्पादों को ट्रैक करने तथा चीजों को पहचानने में भी प्रयोग किये जा सकते हैं। क्यूआर कोड पढ़ने के लिए आपके क कम्प्यूटर, टैबलेट या स्मार्टफोन पर एक क्यूआर कोड रीडर ऐप जैसे एंड्रॉइड फोनों के लिए “क्यूआर ड्रॉइड”, आईओएस के लिए “रेडलेज़र” और ब्लैकबेरी के लिए “क्यूआर कोड स्कैनर प्रो” होना आवश्यक है। क्यूआर कोड ऐप को शुरू करते ही कम्प्यूटर या मोबाइल फोन से जुड़ा कैमरा स्वचालित रूप से सक्रिय हो जाएगा। क्यूआर कोड को कैमरे की सीध में रखें और डिवाइस को तब तक सीधा पकड़े रखें जब तक क्यूआर ऐप कोड द्वारा संग्रहित सारी जानकारी को दिखाते हुए बीप की आवाज़ नहीं करता है।
कुछ ऐप आपके वेब ब्राउज़र को भी सक्रिय कर देते है और कोड में संग्रहित जानकारी से युक्त निर्दिष्ट लिंक पर अनुप्रेषित कर देते है।
आपके बारे में जानकारी फ़ैलाने से लेकर आपके व्यवसाय के लिए मार्केटिंग समाधानों तक, क्यूआर कोड को प्रयोग करने के कई तरीके हैं। आप क्यूआर कोड को अपने व्यवसायिक कार्ड, विवरण- पुस्तिका और विज्ञापन सामग्रियाँ में प्रिंट कर सकते हैं ताकि वे आपके संपर्क विवरण को स्मार्टफोन के एड्रेस बुक पर प्रदर्शित कर सकें, या आपके व्यवसाय का विस्तृत विवरण एक वेबपेज के साथ दिखा सकें। आत्म-प्रचार के लिए टी-शर्ट से लेकर बिलबोर्ड एवं हवाई जहाज़ तक, इन्हें किसी भी चीज पर एवं कहीं भी प्रिंट किया जा सकता है। यदि आप किसी कार्यक्रम के आयोजक हैं तो कार्यक्रम के टिकट पर एक क्यूआर कोड जोड़ दें जो आरएसवीपी पेज और इस कार्यक्रम के जीपीएस निर्देशकों से संबंधित हो ताकि संभावित आगंतुक कार्यक्रम में शामिल हो सके और अपने स्मार्टफोन के जीपीएस नेविगेशन ऐप पर इस स्थान को चिन्हित कर सके। उत्पाद पैकेजिंग / उत्पाद ट्रैकिंग / ग्राहक समीक्षा, बिल्कुल वास्तविक समय में तथा अपने व्यवसाय और उत्पादों के बारे में ग्राहकों को वेबपेज से जोड़ने के लिए आप अपने अंतिम उत्पाद की पैकेजिंग में क्यूआर कोड जोड़ सकते हैं। लिंक में अन्य विवरणों के अतिरिक्त उत्पाद का विवरण और इसके लाभ, प्रयोगकर्ता पुस्तिका, ग्राहक सेवा संपर्क और कंपनी के बारे में सामान्य जानकारी को शामिल किया जा सकता है।
क्यूआर कोड मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: गतिशील और स्थिर । गतिशील कोड को “जीवंत क्यूआर कोड” भी कहा जाता है। गतिशील क्यूआर कोड में एक बार बना लेने के बाद, कोड से छेड़छाड़ किये बिना ही इसके मुख्य गंतव्य लिंक को संपादित किया जा सकता है। स्कैन करने पर, गतिशील कोड आपको सर्वर पर अनुप्रेषित कर देता है, जहाँ उस स्कैन के साथ विशेष रूप से इंटरैक्ट करने के लिए डेटाबेस के माध्यम से विशिष्ट निर्देश रखे एवं प्रोग्राम किये जाते हैं। गतिशील कोड सुविधाजनक होते हैं क्योंकि उन्हें एक बार बनाया और लागू किया जाता है, और इसे लिंक के रूप में स्कैन करने पर जो लिंक जानकारी प्रदर्शित करता है, आप उसपर दिखाई जाने वाली जानकारी को परिवर्तित कर सकते हैं। गतिशील कोड के विपरीत, स्थिर कोड या तो टेक्स्ट के रूप में सीधे जानकारी संग्रहित करते हैं या किसी माध्यमिक लिंक से अनुप्रेषित हुए बिना वेब पेजों पर ले जाते हैं। इसका मतलब है कि जानकारी या लिंक को परिवर्तित या संपादित नहीं किया जा सकता है (आपको हर बार एक नया स्थिर कोड बनाना होगा)। स्थिर कोड उन लोगों के लिए बिल्कुल सही होता है जो ऐसे कोड चाहते हैं जिनमें उनकी स्थायी जानकारी (जैसे जन्मदिन और रक्त समूह के बारे में जानकारी) को संग्रहित किया जा सके।
स्थिर कोड में सीधे उपयोगी जानकारी शामिल होती है। इसका मतलब है कि इस कोड में आप जानकारी को ट्रैक और प्रबंधित नहीं कर पाएंगे। यह बहुत असुविधाजनक होता है, क्योंकि जरुरत पड़ने पर आप पिछली सभी प्रिंट की गयी सामग्रियों को दोबारा प्रिंट किये बिना प्रदर्शित जानकारी को परिवर्तित नहीं कर सकते हैं।
गतिशील कोड में विशेष वेब सर्वरों के लिए लिंक शामिल होता है जो यह जानकारी रखते हैं कि अब कौन सी जानकारी प्रदर्शित करनी है या कौन से वेब लिंक पर अनुप्रेषित करना आवश्यक है। इसका मतलब है कि आप उस गतिशील कोड को ट्रैक कर सकते हैं (सांख्यिकीय जानकारी एकत्रित करता है) और गंतव्य वेब लिंक को कोड की संरचना से छेड़छाड़ किये बिना परिवर्तित तथा संपादित कर सकते हैं। यह गतिशील कोड को व्यापक बना देता है क्योंकि आपको पिछली प्रिंट की गयी सामग्रियों को दोबारा प्रिंट नहीं करना पड़ता। आपको केवल गंतव्य लिंक को परिवर्तित करना होगा, स्थिर कोड में यह विकल्प नहीं होता है। वास्तव में, प्रिंट हो जाने के बाद भी गतिशील कोड के द्वारा आप प्रदर्शित जानकारी को नियंत्रित कर सकते हैं, जो गतिशील कोड की एक महत्वपूर्ण विशेषता है जो इसे स्थिर नी गतिशील कोड की ए कोड की तुलना में ज्यादा उपयोगी बनाती है स्थिर कोड में इस्तेमाल के बाद उन्हें बदलना कठिन हो जाता है (या बड़े संस्करण में कोड का इस्तेमाल कर पाना स्वाभाविक रूप से असम्भव हो जाता है)।
शायद इसीलिए, स्थिर कोड मुफ्त रूप से ज्यादा उपलब्ध होते हैं क्योंकि इनके लिए किसी उच्च तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है, जबकि गतिशील कोड के लिए सर्वरों की बहुत ज्यादा मांग होती है जिनके माध्यम से ये संसाधित होते हैं। इसलिए, वे वेबसाइटें जो मुफ्त क्यूआर कोड प्रदान करती हैं वे आमतौर पर मुफ्त में केवल क्यूआर कोड ही देती हैं, एवं गतिशील कोड के लिए शुल्क लगाती हैं।
जॉयस्टिक (Joystick)
यह डिवाइस वीडियो गेम्स खेलने के काम में आने वाली निवेश युक्ति है। जॉयस्टिक के माध्यम से क्रीन पर उपस्थित टर्टल या आकृति को इसके हैंडल से पकड़ कर चलाया जा सकता है। इसका प्रयोग बच्चों द्वारा प्राय कम्प्यूटर पर खेल खेलने के लिये किया जाता है क्योंकि यह बच्चों को कम्प्यूटर सिखाने का आसान तरीका है। वैसे तो कम्प्यूटर के सारे खेल की-बोर्ड द्वारा खेले जा सकते हैं परन्तु कुछ खेल जो तेज गति से खेले जाते हैं, उन खेलों में बच्चे अपने आपको सुविधाजनक महसूस नहीं करते हैं। इसलिये जॉयस्टिक का प्रयोग किया जाता है।
जॉयस्टिक के अंग –
- स्टिक
- आधार
- ट्रिगर
- अतिरिक्त बटन
- ऑटोफायर स्विच
- थ्रोटल
- हैट स्विच
- सक्शन कप
ट्रैक बॉल (Track Ball)
ट्रैक बॉल एक प्वाइन्टिंग निवेश युक्ति है जो माउस की तरह ही कार्य करती है। इसमें एक उभरी हुई (Exposed) गेंद (ball) होती है तथा बटन होते हैं। सामान्यत पकड़ते समय गेंद पर आपका अँगूठा (thumb) होता है तथा आपकी अंगुलियाँ इसके बटन पर होती हैं । क्रीन पर प्वाइंटर को घुमाने के लिए अँगूठा से उस गेंद (Ball) को घुमाते हैं। ट्रैक बॉल को माउस की तरह घुमाने की आवश्यकता नहीं होती इसलिए यह अपेक्षाकृत कम जगह घेरता है। ट्रैक बॉल की लोकप्रियता विशेषकर लैपटॉप (Laptop) कम्प्यूटर के कारण हुई क्योंकि लैपटॉप को कहीं भी आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाया जा सकता है। कई लैपटॉप कम्प्यूटरों में ट्रैक बॉल अतिसूक्ष्म रुप में भी उपलब्ध होती है जिसका प्रयोग आप माउस की तरह कर सकते हैं।
उपलब्ध है। दो बटन तथा तीन हैं। यही ट्रैक बॉल कई मॉडल में उपलब्ध हैं। यह बड़ी तथा छोटी दोनों प्रकार की गेंद (ball) के साथ तीन बटनों के साथ बायाँ हाथ तथा दाहिना हाथ दोनों प्रकार के प्रयोक्ता के लिए उपलब्ध हैं।
लाइट पेन (Light Pen)
लाइट पेन का प्रयोग कम्प्यूटर क्रीन पर कोई चित्र या ग्राफिक्स बनाने में किया जाता है। लाइट पेन में एक प्रकाश- संवेदनशील कलम की तरह की युक्ति होती है जो डिस्प्ले स्क्रीन पर ऑब्जेक्ट के चयन के लिए होती है। अत लाइट पेन का प्रयोग ऑब्जेक्ट के चयन के लिए होता है। लाइट पेन की सहायता से बनाया गया कोई भी ग्राफिक्स कम्प्यूटर पर संग्रहित किया जा सकता है तथा आवश्यकतानुसार इसमें संशोधन किया जा सकता है अथवा इसका आकार बदला जा सकता है।
डिजिटाइजर टैबलेट या ग्राफिक्स टैबलेट (Digitizer tablet or Graphics tablet) इसका प्रयोग हस्त-जनित अक्षरों को सीधे-सीधे कम्प्यूटरों में इनपुट करने के लिए किया जाता है। डिजिटाइजर टैबलेट अथवा ग्राफिक्स टैबलेट माउस या कलम के साथ एक ड्रॉईंग सतह (drawing surface) होता है। ड्रॉईंग सतह में चारों का एक जटिल नेटवर्क होता है। यह नेटवर्क उत्पन्न संकेतों (signals) को प्राप्त करता है, जो माउस या कलम की गति के फलस्वरूप होता है तथा उन्हें कम्प्यूटर को भेजता है। यह एक स्कैनिंग हेड (head) जिसे पक (puck) कहा जाता है के साथ आता है। पक का प्रयोग अक्षर के इच्छित ग्राफिकल स्थिति (graphical position) को पाने में होता है।
टच स्क्रीन (Touch Screen)टच स्क्रीन एक निवेश युक्ति है। इसमें एक प्रकार की डिस्प्ले स्क्रीन होती है जिसकी सहायता से प्रयोक्ता किसी प्वाइन्टिंग युक्ति (Pointing device) के बजाय अपनी उँगलियों को स्थित कर स्क्रीन पर मेन्यू या किसी ऑब्जेक्ट का चयन करता है। कोई प्रयोक्ता जिसको कम्प्यूटर की बहुत अधिक जानकारी न हो तो भी इसे सहजता से प्रयोग कर सकता है। टच क्रीन निस्संदेह एक प्रयोक्ता के लिए मित्रवत् निवेश युक्ति होती है किन्तु यह कम्प्यूटर में बड़ी मात्रा में डेटा को इनपुट करन में हमारी सहायता नहीं कर सकता है। सामान्य रुप में इसका उपयोग मोबाइल फोन, टैबलेट एवं पॉमटॉप कम्प्यूटरों तथा बैंको की ए.टी.एम. अर्थात आटोमैटिक टेलर मशीन या सूचना किओस्क में देखा जा सकता है।
वॉइस रिकाग्नीशन युक्तियाँ (Voice Recognition Devices) इन युक्तियो में कम्प्यूटर में डाटा उपयोगकर्ता द्वारा सीधे बोलकर शब्दों द्वारा इनपुट किया जाता है। इस तकनीक में सर्वप्रथम कम्प्यूटर को प्रयोक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों को पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। एक बार प्रशिक्षण पूर्ण होने के पश्चात कम्प्यूटर उस उपयोगकर्ता के द्वारा बोलकर दिए गए निर्देशों को पहचानकर उसके अनुसार कार्य कर सकता है। वर्तमान में इन युक्तियों का सर्वाधिक उपयोग कार्यालयों में होने लगा है जहाँ कम्प्यूटर को स्टेनोग्राफर के स्थान पर दिए बोलकर दिए गए पाठ्य को टाइप कर अधिकारी को प्रस्तुत करना होता है। एक वॉइस रिकग्निशन सिस्टम निम्न सिद्धांत पर कार्य करता है।
- दरअसल जब भी आप कंप्यूटर में बोलकर निर्देश (वॉयस कमांड) देते हैं तो हवा में वाइब्रेशन्स पैदा होते हैं। इस समय कंप्यूटर डिजिटल डाटा में बदलता है, जिसे कंप्यूटर एनालॉग-टू-डिजिटल कंवर्टर के जरिए का साउंड कार्ड इससे उत्पन्न तरंगो (वेव्स) को समझ सके। साथ ही सिस्टम में मौजूद सॉफ्टवेयर आवाज को और साफ करने व बैकग्राउंड की अन्य आवाजों को दूर करने का काम भी करता है। ता एव
- इस डिजिटल डाटा से उत्पन्न आवाज या शब्द को सॉफ्टवेयर टुकड़ों में बांटता है, जिन्हें फोनोमीज कहते हैं।
- इसके बाद इन फोनोमीज का मिलान सॉफ्टवेयर अपनी डिक्शनरी में मौजद शब्दों से करता है। सॉफ्टवेयर जितना एडवांस होता है वह उतनी ही कुशलता से ध्वनि को पहचानते हुए सही शब्द का चुनाव करता है। अब नए सॉफ्टवेयर्स में शब्दों ‘साथ वाक्य भी होते हैं, जिन्हें कोई विशेष कमांड देने के लिए तैयार किया जाता है।
- शब्द या वाक्य को समझकर कम्प्यूटर प्रतिक्रिया देता है। इसमें शब्द अथवा वाक्य को टाइप करना या वाक्य के जरिए निर्देशित कार्य करना शामिल है।
डिजीटल वीडियो कैमरा
एक ऐसी मोबाइल निवेश युक्ति है जो कि किसी भी दृश्य, चलचित्र आदि को संग्रह करने के काम आती है। इसके माध्यम से हम दृश्य को संग्रहीत कर समय उस दृश्य को कैमरे के स्क्रीन पर भी देख सकते हैं। डिजीटल वीडियो कैमरा (Digital Video Camera) बहुत छोटे आकार का इनपुट उपकरण है जिसको एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।
डिजिटल कैमरे में कई रूपों में फोटो संग्रहण की व्यवस्था होती है जिसे फोटो रिज्यालूशन कहते हैं आजकल सामान्यत 640 x 480 से 16 मैगापिक्सल तक के कैमरे उपलब्ध हैं इसकी मेमोरी क्षमता भी अलग अलग होती है सामान्यत इसमें 8 MB से 16 GB तक की मेमोरी उपलब्ध है। सामान्य रुप में डिजिटल कैमरा आजकल सभी स्मार्टफोन में उपलब्ध होता है।