आकार के आधार Computers को निम्न श्रेणियों में बॉट सकते हैं –
- माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computers)
वर्कस्टेशन (Workstation)
मिनी कम्प्यूटर (Mini Computers)
मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computers)
सुपर कम्प्यूटर (Super Computers)
वास्तव में केवल भौतिक वास्तविक आकार के आधार पर इन श्रेणियों के कम्प्यूटरों में अन्तर स्पष्ट नहीं किया जा सकता है क्योंकि एक मेनफ्रेम कम्प्यूटर आकार एक मिनी कम्प्यूटर से छोटा हो सकता है। सामान्यतः बडे कम्प्यूटर की गणना करने की क्षमता अधिक होती है। बडे कम्प्यूटरों की गति अधिक होने के साथ उनमें अधिक संख्या में अतिरिक्त डिवाइस या उपकरण (devices) भी लगाये जा सकते हैं। कम्प्यूटर के आकार तथा क्षमता में में वृद्धि होने पर उसकी कीमत भी अधिक हो जाती है। जहाँ माइक्रो कम्प्यूटर की कीमत हजारों रुपये में होती है वहीं एक सुपर कम्प्यूटर की कीमत कई करोड़ों रुपये तक हो सकती है।
माइक्रो कम्प्यूटर
सन् 1970 के दशक में तकनीक के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी आविष्कार हुआ। यह आविष्कार माइक्रोप्रोसेसर था जिसके उपयोग से एक छोटे, किन्तु तीव्रगति के और सस्ती कम्प्यूटर – प्रणाली बनाना संभव हुआ। ये कम्प्यूटर एक डेस्क पर रखे जा सकते हैं अथवा एक ब्रीफकेस में भी रखे जा सकते हैं ।। ये छोटे कम्प्यूटर माइक्रो कम्प्यूटर कहलाए। माइक्रो कम्प्यूटर कीमत में सस्ते और आकार में छोटे होते हैं। अतः इन्हें पर्सनल कम्प्यूटर (Personal Computers) या पीसी (PC) भी कहते हैं। माइक्रो कम्प्यूटर घरों में, विद्यालयों की कक्षाओं में और कार्यलयों में प्रयुक्त किए हैं। घरों में ये परिवार के खर्च का ब्यौरा रखते हैं तथा मनोरंजन के साधन के रूप में काम आते हैं। विद्यालयों में ये विद्यार्थियों के उपस्थिति पत्रक तैयार करने में, प्रश्नपत्र तैयार करने तथा विभिन्न विषयों की शिक्षा प्रदान करने आदि के काम आते हैं। कार्यलयों में माइक्रो कम्प्यूटर एक सहायक के रूप में काम आते हैं इनसे पत्र लेखन, मीटिंग के नोट्स लेने, प्रोजेक्ट दस्तावेजों को तैयार करने में, प्रस्तुतिकरण देने, फाइलों का रख-रखाव व अन्य कार्य किये जा सकते हैं।
व्यापार में माइक्रो कम्प्यूटरों का व्यापक उपयोग है । व्यवसाय बडा हो या छोटा, माइक्रो कम्प्यूटर दोनों में उपयोगी है। छोटे व्यवसाय में यह किये गये व्यापार का ब्यौरा रखता है, पत्र-व्यवहार के लिए पत्र तैयार करता है, उपभोक्ताओं के लिए बिल (bill) बनाकर देता हैं और लेखांकन (accounting) करता है बडे व्यवसायी इन्हें शब्द-संसाधन ( word processing) संस्थागत रिसोर्स प्लांनिंग (Enterprise Resource Planning) प्रबंधन (Management ) और फाइलिंग प्रणाली के संचालन में उपयोग करते हैं विश्लेषण के साधन के रूप में इनका उपयोग कर व्यापार में निर्णय भी लिये जाते हैं।
सामान्यत माइक्रो कम्प्यूटर मे एक ही सीपीयू लगा होता हैं वर्तमान समय में माइक्रो कम्प्यूटर का विकास तेजी से हो रहा हैं परिणामस्वरूप कई सीपीयू युक्त माइक्रो कम्प्यूटर भी उपलब्ध हैं। माइक्रो कम्प्यूटर 15 हजार रुपये से 75 हजार रुपये तक की कीमत में उपलब्ध हैं।
माइक्रोप्रोसेसर तकनीक के बढते हुए विकास में माइक्रो कम्प्यूटर छोटा तथा सुवाह्म होता गया है। ये विभिन्न आकार तथा स्वरूप में पाये जाते हैं, जिनकी चर्चा आगे है-
- डेस्कटॉप कम्प्यूटर (Desktop computers)
- लैपटॉप / नोटबुक (Laptop/Notebook)
- पामटॉप कम्प्यूटर (Palmtop computers)
डेस्कटॉप कम्प्यूटर
पर्सनल कम्प्यूटर का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला स्वरूप डेस्कटॉप कम्प्यूटर है। डेस्कटॉप जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, एक ऐसा कम्प्यूटर है जिसे टेबल (डेस्क) पर रखकर उस पर कार्य संपादित किया जा सके। इसमें एक सी. पी. यू, मॉनीटर, की-बोर्ड तथा माउस होते हैं। आधुनिक डेस्कटॉप कम्प्यूटरों में मल्टीमीडिया सुविधा होने के कारण स्पीकर इत्यादि भी लगे होते है। डेस्कटॉप कम्प्यूटर की कीमत कम होती है परन्तु इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना असुविधाजनक होता है। आज, आप नवीनतम कॉनफिगयूरेशन के साथ डेस्कटॉप कम्प्यूटर 30-35 हजार रुपयों में प्राप्त कि जा सकते हैं।
बड़े संस्थान तथा शोध संस्थानों द्वारा कम्प्यूटरों का प्रयोग 1960 के दशक से ही किया जा रहा था किन्तु व्यक्तिगत रुप से एवं छोटे संस्थानों द्वारा इनका प्रयोग संभव नहीं था क्योकिं ये अत्यंत महंगे होते थे एवं इनका परिचालन भी काफी कठिन था। 1980 के दशक के प्रारंभ में इसी बात को ध्यान मे रखते हुए आई.बी.एम. कंपनी ने एक छोटा सामान्य – उद्देश्य माइक्रोकम्पयूटर का निर्माण किया जिसे छोटी संस्थाएं तथा व्यक्ति स्वयं भी खरीद सकता था। यह काफी छोटा तथा सस्ता था तथा किसी भी व्यक्ति के लिए इसे खरीद पाना संभव था अत इसे व्यक्तिगत कंप्यूटर कहा गया चूंकि इसे एक टेबल पर रखकर भी प्रयोग कर सकते थे अत इसे डेस्कटॉप कम्प्यूटर भी कहा गया। माइक्रोप्रोसेसर के क्षेत्र में हुई क्रांति कारण इसे बनाना संभव हो सका। यह इंटेल के एक माइक्रोप्रोसेसर 8088 पर आधारित था जिसे विशेष रुप से किसी भी व्यक्ति द्वारा घर या कार्यालय में उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया छोटा और अपेक्षाकृत सस्ता कंप्यूटर था। इसे प्रचलित रुप मे पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer) या संक्षेप में PC कहा जाता है। वर्तमान में पर्सनल कंप्यूटर के अन्य स्वरुप माइक्रो कंप्यूटर, डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप कंप्यूटर और टैबलेट इत्यादि भी उपलब्ध है।
सामन्यत पर्सनल कंप्यूटर (PC) में एक सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) होता है जिसमें कम्प्यूटर का मुख्य प्रोसेसर, मेमोरी, संग्रहण इकाई तथा पॉवर सप्लाई एक ही बॉक्स में संस्थापित होती है तथा जिसमें इनपुट के लिए कीबोर्ड एवं आउटपुट के लिए मॉनीटर जोड़ने की व्यवस्था होती है। नीचे चित्र में आईबीएम द्वारा 1981 में विकसित पहला व्यावसायिक कम्प्यूटर प्रदर्शित किया गया है।
पर्सनल कम्प्यूटर्स का विकास-क्रम (Evolution of PCs)
पर्सनल कम्प्यूटर (PC)
प्रथम IBM PC में इंटेल 8086 माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित था । यह 8 बिट प्रोसेसर था जो उस समय की आवश्यकताओं को पूरा करता था। इसकी मुख्य मेमोरी क्षमता 128 से 640 KB तक थी तथा इसमें द्वितीयक मेमोरी के लिए 2 फ्लॉपी ड्राइव्स लगी थी जिसकी संग्रहण क्षमता 360 KB थी। इसकी गणना गति 8 मेगाहर्ट्ज थी आउटपुट डिवाइस के रुप में इसमें कैथोड किरणों तथा ग्रीन फॉस्फोरस आधारित मोनोक्रोम मॉनीटर था साथ ही इनपुट के लिए एक 85 कुंजियों वाला कीबोर्ड था।
पर्सनल कम्प्यूटर – एक्टेन्डेड टेक्नॉलॉजी (PC-XT) – यह आईबीएम द्वारा विकसित किए गए IBM PC का ही संशोधित तथा उन्नत स्वरुप था यह इंटेल के 8088 नामक 8 बिट माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित था । इसकी गणना गति 10-12 मेगाहर्ट्ज थी इसकी मुख्य मेमोरी क्षमता 640 किलोबाइट थी। इसमें द्वितीयक मेमोरी के लिए 1 या 2 फ्लॉपी ड्राइव्स लगी थी जिसकी संग्रहण क्षमता 360 KB थी साथ ही एक हार्ड डिस्क भी लगी थी जिसकी क्षमता 10MB थी । आउटपुट डिवाइस के रुप में इसमें कैथोड किरणों पर आधारित रंगीन मॉनीटर था साथ ही इनपुट के लिए एक 101 कुंजियों वाला कीबोर्ड था।
पर्सनल कम्प्यूटर – एडवांस्ड टेक्नॉलॉजी (PC- AT) – यह आईबीएम द्वारा विकसित किए गए IBM PC-XT का एक उन्नत रुप था यह इंटेल के 80286 नामक 16 बिट माइक्रोप्रोसेसर पर आधारितथा । इसकी गणना गति PC-XT की तुलना में अधिक थी तथा यह 16-20 मेगाहर्ट्ज थी इसकी मुख्य मेमोरी क्षमता 1 से 2 मेगाबाइट थी। इसकी वर्डलैंग्थ का आकार 16 बिट तथा एड्रेस बस का आकार 24 बिट का था। इसमें द्वितीयक मेमोरी के लिए 1 या 2 फ्लॉपी ड्राइव्स लगी थी जिसकी संग्रहण क्षमता 1.2 मेगाबाइट थी साथ ही एक हार्ड डिस्क भी लगी थी जिसकी क्षमता 20MB-40 MB या अधिक थी। आउटपुट डिवाइस के रुप में इसमें कैथोड किरणों पर आधारित रंगीन मॉनीटर था साथ ही इनपुट के लिए एक 101 कुंजियों वाला कीबोर्ड था।
इसके पश्चात माइक्रोप्रोसेसरों के विकास के साथ ही पर्सनल कम्प्यूटरों की क्षमता बढ़ती गई तथा वर्तमान में इन्हें सिर्फ पर्सनल कम्प्यूटर ही कहा जाता है।
नोटबुक तथा लैपटॉप कम्प्यूटर
नोटबुक तथा लैपटॉप कम्प्यूटर सामान्यतः पर्यायवाची हैं यद्यपि कई कम्पनियां लैपटॉप के साथ अन्य फीचरों को प्रदान करते हैं तथा लैपटॉप को नोटबुक की अपेक्षाकृत कुछ अधिक कीमतों में बेचते हैं। डेस्कटॉप कम्प्यूटर से भिन्न, नोटबुक तथा लैपटॉप में कुछ भी अलग से नहीं होता है। इनमें सभी आवश्यक इनपुट, आउटपुट तथा प्रोसेसिंग युक्तियां एक आसानी से ले जाने लायक आकार में समावेशित की जाती हैं आमतौर पर यात्रा के दौरान या कुर्सी पर बैठकर इन्हें गोद में रखकर परिचालित किया जा सकता है इसलिए इसे लैपटॉप ( laptop) अर्थात् गोद के ऊपर (top on the lap) कहा जाता है। नोटबुक तथा लैपटॉप का वजन 750 ग्राम से 3 किलोग्राम तक के होते हैं। ये कीमत में डेस्कटॉप से महंगे होते हैं परन्तु इन्हें एक जगह से दूसरी जगह आसानी से जाया जा सकता है। इसे आप कहीं भी अपने साथ ले जा सकते हैं। नोटबुक तथा लैपटॉप बैटरी से संचालित होते हैं जिन्हें एक बार चार्ज कर लेने पर सामान्यतः 3-4 घंटे चलाया जा सकता है।
पॉमटॉप कम्प्यूटर
पॉमटॉप सबसे अधिक सुवाह्य (portable) माइक्रो कम्प्यूटर होते हैं तथा हाथों में पकडे जा सकते हैं इन्हें पॉकेट कम्प्यूटर भी कहा जाता हैं यद्यपि यह कार्य क्षमता में अधिक शक्तिशाली तथा सुविधाजनक नहीं है किन्तु इनका प्रयोग डाटा संग्रहण इत्यादि में किया जाता है।
टैबलेट पीसी (Tablet PC)
टैबलेट पीसी अधिक पोर्टेबल तथा लैपटॉप कम्प्यूटर के सभी लक्षणों से युक्त होते हैं। ये लैपटॉप की तुलना में अधिक हल्के होते हैं। इन कम्प्यूटरों में निर्देशों को इनपुट करने के लिए स्टायलस (styles) या डिजिटल पेन का प्रयोग किया जाता हैं। उपयोगकर्ता निर्देशों को स्क्रीन पर सीधे-सीधे लिख सकता है। टैबलेट पीसी में अन्तः निर्मित माइक्रोफोन तथा विशिष्ट सॉफ्टवेयर होता है, जो इनपुट को मौखिक रूप में प्राप्त करने में सक्षम होता है। आप इससे एक की-बोर्ड तथा मॉनीटर को जोडकर इसका प्रयोग एक सामान्य कम्प्यूटर की तरह कर सकते हैं।
पर्सनल डिजिटल असिसटेण्ट (Personal Digital Assistant)
पर्सनल डिजिटल असिस्टेण्ट या पीडीए एक हैन्ड हेल्ड (Hand held) अर्थात हाथ में रखकर प्रयोग किया जाने वाला कम्प्यूटर है, जो टैबलेट पीसी की तरह है तथा इसे एक प्रकार का पॉमटॉप कम्प्यूटर भी कह सकते हैं। पीडीए में अब कई अन्य विशेषताएं भी उपलब्ध है, जैसे- कैमरा, सेलफोन, म्यूजिक प्लेयर, इत्यादि। यह एक छोटे-से कैलकुलेटर के भांति होता है तथा इसका प्रयोग नोट लिखने, एड्रेस प्रदर्शित करने, टेलिफोन नम्बर तथा मुलाकातों को प्रदर्शित करने में किया जाता है। पीडीए सामान्यत एक लाइट पेन के साथ उपलब्ध होते हैं प्रयोक्ता की आवश्यकता के लिए यह अब बहुत छोटे की-बोर्ड के साथ टेक्स्ट को इनपुट करने तथा माइक्रोफोन से आवाज इनपुट करने की सुविधा प्रदान करते है।
वर्कस्टेशन (Workstation)
वर्कस्टेशन आकार में माइक्रो कम्प्यूटर के समान होने के बावजूद अधिक शक्तिशाली होते हैं तथा ये विशेष रूप से जटिल कार्यों के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। इस प्रकार के कम्प्यूटर माइक्रो कम्प्यूटर के समान सामान्यतः ही होते हैं किन्तु इनकी कार्यक्षमता मिनी कम्प्यूटरों के समान होती है। । ये माइक्रो कम्प्यूटर की अपेक्षा महंगे होते हैं। इनका प्रयोग मूलतः वैज्ञानिकों, इंजीनियरों तथा अन्य विशेषज्ञों द्वारा विशेष प्रयोजनों जैसे कम्प्यूटरीकृत डिजाइन तथा ग्राफिक्स प्रभाव पैदा करने वाले कम्प्यूटरों के रूप में होता हैकिन्तु, माइक्रो कम्प्यूटर में अपार बदलाव तथा इसके बृहद् स्तर पर विकास के बाद अब वर्कस्टेशन का प्रचलन कम हुआ है तथा माइक्रो कम्प्यूटर के उन्नत उत्पाद ने इसका स्थान लेना प्रारम्भ कर दिया है। अब माइक्रो कम्प्यूटर भी उन्नत ग्राफिक्स तथा संचार – क्षमताओं के साथ बाजार में उपलब्ध हो रहे हैं।
मिनी कम्प्यूटर (Mini Computers)
सामान्यतः इन कम्प्यूटरों का प्रयोग मध्यम आकार के व्यावसायिक / इंजीनियरिंग संस्थानों में होता है। ये माइक्रो कम्प्यूटर की तुलना में अधिक कार्यक्षमता वाले होते हैं। सबसे पहला मिनी कम्प्यूटर PDP-8 एक रेफ्रिजरेटर के आकार का तथा 18000 डॉलर कीमत का था जिसे डिजिटल इक्यूपमेंट कॉर्पोरेशन (डीईसी) ने 1965 में तैयार किया था। मिनी कम्प्यूटरों की कीमत माइक्रो कम्प्यूटरों से अधिक होती है इसलिए ये व्यक्तिगत रूप से नहीं खरीदे जा सकते हैं। इन्हें छोटी या मध्यम स्तर की कम्पनियां काम में लेती हैं। इस कम्प्यूटर पर टर्मिनल जोडकर एक समय में एक से अधिक व्यक्ति काम कर सकते हैं। मिनी कम्प्यूटर में एक से अधिक सीपीयू हो सकते हैं। इनकी मेमोरी और गति माइक्रो कम्प्यूटर से अधिक और मेनफ्रेम कम्प्यूटर से कम होती है। अतः यह मेनफ्रेम कम्प्यूटर से सस्ते होते हैं।
मध्यम स्तर की कम्पनियों में मिनी कम्प्यूटर ही उपयोगी माने जाते हैं। यद्यपि अनेक व्यक्तियों के लिए अलग-अलग माइक्रो कम्प्यूटर लगाना भी संभव है, परन्तु यह अधिक महंगा पडता है। इसके अलावा अनेक माइक्रो कम्प्यूटर होने पर उनके रख-रखाव व मरम्मत की समस्या बढ जाती है। इन स्थानों पर मिनी कम्प्यूटर केन्द्रीय कम्प्यूटर के रूप में कार्य करता है और इससे कम्प्यूटर के संसाधनों का साझा हो जाता है। एक मध्यम स्तर की कम्पनी मिनी कम्प्यूटर का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए कर सकती है –
- संस्थागत रिसोर्स प्लानिंग (ERP)
- कर्मचारियों के वेतनपत्र (Payroll ) तैयार करना
- वित्तीय खातों (accounts) का रख-रखाव
- लागत-विश्लेषण
- ग्राहक संबद्ध प्रबंधन (Customer Relationship Management – CRM)
- बिक्री – विश्लेषण
- उत्पादन- योजना
- इंट्रानेट सर्वर के रूप में
मिनी कम्प्यूटरों के अन्य उपयोग यातायात में यात्रियों के लिए आरक्षण – प्रणाली का संचालन और बैंकों में बैंकिंग के कार्य हैं।
मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computers)
ये कम्प्यूटर आकार में बहुत बडे होते हैं साथ ही इनकी संग्रह – क्षमता भी अधिक होती है। इनमें अधिक मात्रा के डेटा (data) पर तीव्रता से प्रोसेस या क्रिया करने की क्षमता होती है, इसलिए इनका उपयोग बडी कम्पनियां, बैंक तथा सरकारी विभाग एक केन्द्रीय कम्प्यूटर के रूप में करते हैं। ये चौबीसों घंटे कार्य कर सकते हैं और इन पर सैकडों उपयोगकर्ता (users) एक साथ काम कर सकते हैं। अत्याधिक मात्रा में डाटा संग्रहण के लिए इनमें नेटवर्क स्टोरेज सिस्टम का प्रयोग किया जाता है तथा उपयोगकर्ता प्रबंधन के लिए इसमें मैनेजेबल स्विचेस (managable switches) का प्रयोग किया जाता है। मेनफ्रेम कम्प्यूटरों के उदाहरण हैं- IBM 4381 और ICL 39 श्रृंखला के कम्प्यूटर। मेनफ्रेम कम्प्यूटर को एक नेटवर्क या माइक्रो कम्प्यूटरों से परस्पर जोडा जा सकता हैं अधिकतर कम्पनियां या संस्थाएं मेनफ्रेम कम्प्यूटर का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए करती हैं :
- उपभोक्ताओं द्वारा खरीद का ब्यौरा रखना
- भुगतानों का ब्यौरा रखना
- बिलों को भेजना, रखना
- नोटिस भेजना
- कर्मचारियों के भुगतान करना
कर का विस्तृत ब्यौरा रखना
संस्थागत रिसोर्स प्लानिंग (ERP)
इंट्रानेट मेलिंग प्रणाली ।
इंट्रानेट अनुप्रयोग सर्वर के रूप में।
सुपर कम्प्यूटर ( Super Computer)
सामान्यतः किसी समय सर्वाधिक गति से कार्य करने वाले तथा सर्वाधिक क्षमता के कम्प्यूटर को सुपर कम्प्यूटर कहा जाता है। सुपर कम्प्यूटर, कम्प्यूटर की सभी श्रेणियों में सबसे बडे, सबसे अधिक संग्रह-क्षमता वाले तथा सबसे अधिक गति वाले होते हैं। सुपर कम्प्यूटिंग शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1920 में न्यूयॉर्क वर्ल्ड न्यूजपेपर ने आई बी एम द्वारा निर्मित टेबुलेटर्स के लिए किया था। 1960 के दशक में प्रारंभिक सुपरकम्प्यूटरों को कंट्रोल डेटा कॉर्पोरेशन, सं. रा. अमेरिका के सेमूर क्रे ने डिजाइन किया था। विश्व का पहला सुपर कंप्यूटर इल्लीआक 4 था जिसने 1975 में काम करना आरंभ किया। इसे डेनियल स्लोटनिक ने विकसित किया था। यह अकेले ही एक बार में 64 कंप्यूटरों का काम कर सकता था। इसकी मुख्य मेमोरी में 80 लाख शब्द आ सकते थे और यह 8,32,64 बाइट्स के तरीकों से अंकगणित क्रियाएं कर सकता था। इसकी कार्य क्षमता 30 करोड़ परिकलन क्रियाएं प्रति सेकंड थी, अर्थात जितनी देर में हम बमुश्किल 8 तक की गिनती गिन सकते हैं, उतने समय में यह जोड़, घटाना, गुणा, भाग के 30 करोड़ सवाल हल कर सकता था।
सुपरकम्प्यूटर की परिभाषा काफी अस्पष्ट है। वर्तमान के सुपर कम्प्यूटर आने वाले समय के अत्यंत साधारण कम्प्यूटर करार दिए जा सकते हैं। 1970 के दशक के दौरान अधिकाँश सुपर कम्प्यूटर वेक्टर प्रोसेसिंग पर आधारित थे। 1980 और 1990 के दशक से वेक्टर प्रोसेसिंग का स्थान समांतर प्रोसेसिंग तकनीक ने ले लिया। आधुनिक परिभाषा के अनुसार वे कम्प्यूटर जिनकी मेमोरी स्टोरेज (स्मृति भंडार) 52 मेगाबाइट से अधिक हो एवं जिनके कार्य करने की क्षमता 500 मेगा फ्लॉफ्स (Floating Point operations per second & Flops) हो, उन्हें सुपर कम्प्यूटर कहा जाता है। सुपर कम्प्यूटर में सामान्यतया अनेक सीपीयू समान्तर क्रम में कार्य करते हैं इस क्रिया को समान्तर प्रक्रिया (Parellel processing) कहते हैं। इनकी गति मिलियन फ्लोटिंग पॉइंट ऑपरेशन्स प्रति सेकैन्ड्स या MFLOPS तथा गीगाफ्लॉप्स (GigaFlops) में मापी जाती है। सुपर कम्प्यूटर ‘नॉन-वॉन न्यूमान सिद्धांत’ के आधार पर कार्य करते हैं। सुपर कम्प्यूटर का उपयोग बडी वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओं में शोध व खोज करने, अन्तरिक्ष यात्रा संबंधित अनुसंधान व विकास मौसम की भविष्यवाणी, उच्च गुणवत्ता के एनीमेशन वाले चलचित्र का निर्माण आदि कार्यों में होता है। उपरोक्त सभी कार्यों में की जाने वाली गणनाएं व प्रक्रिया जटिल व उच्चकोटि की शुद्धता वाली होती हैं जिन्हें केवल सुपर कम्प्यूटर ही कर सकता है। सुपर कम्प्यूटर सबसे महंगे कम्प्यूटर होते हैं। इनका कीमत अरबों रुपयों में होती है।
भारत में प्रथम सुपर कम्प्यूटर क्रे-एक्स MP/161987 में अमेरिका से आयात किया गया था। इसे नई दिल्ली के मौसम केंद्र में स्थापित किया गया था। भारत में सुपर कम्प्यूटर का युग 1980 के दशक में उस समय शुरू हुआ जब सं. रा. अमेरिका ने भारत को दूसरा सुपर कम्प्यूटर क्रे-एक्स रूक्क देने से इंकार कर दिया। भारत में पूणे में 1988 में सी-डैक (C&DAC) की स्थापना की गई जो कि भारत में सुपर कम्प्यूटर की तकनीक के प्रतिरक्षा अनुसंधान तथा विकास के लिए कार्य करता है। नेशनल एयरोनॉटिक्स लि. (NAL) बंगलौर में भारत का प्रथम सुपर कम्प्यूटर “फ्लोसॉल्वर” विकसित किया गया था। भारत का प्रथम स्वदेशी बहुउद्देश्यीय सुपर कम्प्यूटर “परम” सी-डैक पूणे में 1990 में विकसित किया गया। भारत का अत्याधुनिक कम्प्यूटर परम 10000 ” है, जिसे सी-डैक ने विकसित किया है। इसकी गति 100 गीगा फ्लॉफ्स है। अर्थात् यह एक सेकेण्ड में 1 खरब गणनाएँ कर सकता है। इस सुपर कम्प्यूटर में ओपेन फ्रेम (Open frame) डिजाइन का तरीका अपनाया गया है। परम सुपर कम्प्यूटर का भारत में व्यापक उपयोग होता है और इसका निर्यात भी किया जाता है। सी-डैक में ही टेफ्लॉफ्स क्षमता वाले सुपर कम्प्यूटर का विकास कार्य चल रहा है। यह परम – 10000 से 10 गुना ज्यादा तेज होगा।
सी-डैक ने ही सुपर कम्प्यूटिंग को शिक्षा, अनुसंधान और व्यापार के क्षेत्र में जनसुलभ बनाने के उद्देश्य से पर्सनल कम्प्यूटर पर आधारित भारत का पहला कम कीमत का सुपर कम्प्यूटर “परम अनंत“ का निर्माण किया है। परम अनंत में एक भारतीय भाषा का सर्च इंजन “तलाश”, इंटरनेट पर एक मल्टीमीडिया पोर्टल और देवनागरी लिपि में एक सॉफ्टवेयर लगाया गया है। यह आसानी से अपग्रेड हो सकता है, जिससे इसकी तकनीक कभी पुरानी नहीं पड़ती है।
अप्रैल 2003 में भारत विश्व के उन पाँच देशों में शामिल हो गया था जिनके पास एक टेरॉफ्लॉफ गणना की क्षमता वाले सुपरकम्प्यूटर थी । परम पद्म नाम का यह कम्प्यूटर देश का सबसे शक्तिशाली कम्प्यूटर था ।
वर्तमान में www.top500.org द्वारा नबंबर 2019 में जारी सूची के अनुसार विश्व के सर्वश्रेष्ट 5 सुपरकंप्यूटर निम्नानुसार हैं –
- सुमित (Summit) – यूएसए (United States)
- सीएरा (Sierra ) – यूएसए (United States)
- सनवे टेहुलाइट (Sunway TaihuLight) – चीन (China)
- तिआन्हे – 2 ए (Tianhe – 2A ) – चीन (China)
- फ्रन्टेरा (Frontera) – यूएसए (United States)
इंटरनेशनल कांफ्रेंस फॉर हाई परफोर्मेंस कंप्यूटिंग रेनो (कैलिफोर्निया) के द्वारा जारी की गई 2015 की दुनिया के टॉप- 500 कंप्यूटरों की सूची के अनुसार भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology) पूना में संस्थापित सुपर कम्प्यूटर प्रत्यूश (Pratyush) 57 वें स्थान पर मौजूद कम्प्यूटर भारत में उपलब्ध सर्वाधिक तेज सुपर कम्प्यूटर है। जिसकी गति 3.7 पेट्टाफ्लॉफ्स है। इसी सूची में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र (National Centre for Medium Range Weathe Forecasting) नोएडा में संस्थापित सुपर कम्प्यूटर मिहिर (Mihir) 2.57 पेट्टाफ्लॉफ्स की गति के साथ 100 वें स्थान पर है।
2015 में जारी सूची में देश में निर्मित टाटा के सुपर कंप्यूटर एका को दुनिया में चौथा और एशिया में सबसे तेज सुपर कंप्यूटर करार दिया गया है। यह एक सेकंड में 117.9 ट्रिलियन ( लाख करोड़ ) गणनाएं कर सकता है। 40 वर्ष पहले सुपर कंप्यूटर के बाजार में जहां महज कई कंपनियां थी, वहीं अब इस बाजार में क्रे, डेल, एचपी, आईबीएम, एनईसी, एसजीआई, एचपी, सन जैसे बड़े नाम ही बचे हैं।