आंतरिक मेमोरी (Internal Memory)
आंतरिक मेमोरी भी सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का यह एक अभिन्न अंग होती है, इसे प्राथमिक मेमोरी या मुख्य मेमोरी भी कहा जाता है, इसके मुख्य कार्य निम्न हैं:
- कम्प्यूटर इनपुट किए जाने वाले डाटा तथा निर्देशों को संग्रहित करना ।
- कंट्रोल यूनिट तथा अरिथमेटिक लॉजिक यूनिट को डाटा पहुंचाना।
- कंट्रोल यूनिट तथा अरिथमेटिक और लॉजिक यूनिट द्वारा परिणाम के रूप में प्राप्त डाटा को संग्रहित करना।
दूसरे शब्दों में कम्प्यूटर मेमोरी, इनपुट के रूप में प्राप्त डाटा तथा निर्देशों को संग्रहित करन मध्यस्थ तथा अंतिम परिणाम (Final Result) को भी संग्रहित करने के कार्य में उपयोगी है।
आंतरिक मेमोरी वास्तव में कम्प्यूटर की केंद्रीय संसाधन इकाई का एक अनिवार्य हिस्सा होती है। इसे कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी (Main Memory), या प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) भी mory). या प्रा कहा जाता है। यह मेमोरी हमेशा केंद्रीय संसाधन इकाई के लगातार सम्पर्क में बनी रहती है। कम्प्यूटर की आंतरिक मेमोरी जितनी अधिक होगी वह उतने अधिक डाटा और प्रोग्रामों को एक साथ प्रोसेस कर सकेगा। प्रारंभ के दिनों में यह मेमोरी अत्यंत कम होती थी किन्तु धीरे धीरे इसकी क्षमता में वृद्धि होती गई। जहाँ 1981 में आई. बी. एम. द्वारा प्रस्तुत किए गए मूल पर्सनल कम्प्यूटर (पी.सी) में यह सिर्फ 640 किलोबाइट थी वहीं अब यह सामान्य रुप से उपलब्ध कम्प्यूटरों में सामान्यतः 1 या 2 गीगाबाइट या इससे भी अधिक होती है।
कम्प्यूटर की आंतरिक मेमोरी मुख्यत दो प्रकार की होती है :-
(अ) रेण्डम एक्सेस मेमोरी या RAM
(ब) रीड ओनली मेमोरी या ROM
रैण्डम एक्सेस मेमोरी (RAM)
रैण्डम एक्सेस मेमोरी या संक्षिप्त में रैम मेमोरी कम्प्यूटर का प्रयोग करते समय सबसे अधिक काम में लाई जाने वाली मेमोरी होती है। इस मेमोरी को प्राइमरी या प्राथमिक मेमोरी, मेन मेमोरी भी कहा जाता है। इस इस मेमोरी में सूचना, डाटा तथा निर्देशों को पढ़ा व लिखा जा सकता है।
कम्प्यूटर को जो भी डाटा सूचना व निर्देश किए जाने की अवस्था में अथवा कम्प्यूटर में विद्युत प्रवाह रोक दिए जाने पर इस मेमोरी में लिखा समस्त डाटा नष्ट हो जाता है अत इसे वोलाटाइल या अस्थायी मेमोरी भी कहा जाता है। इसमें इस मेमोरी को रैण्डम एक्सेस इसलिए कहा जाता है कि इसमें किसी भी स्थान पर लिखे डाटा को उसी स्थान से सीधे प्राप्त किया जाता है। इस मेमोरी के निर्माण में दो तकनीकें प्रयुक्त की जाती है यह तकनीकें हैं- फिक्सड वर्ड लैंथ (Fixed Word Length) मेमोरी तथा वेरिएबल वर्ड लैंथ (Variable Word Length) मेमोरी। प्रथम प्रकार के प्रत्येक शब्द की लम्बाई स्थिर होती है जबकि दूसरी तकनीक में शब्द की लम्बाई स्थिर न होकर परिवर्तनीय होती है। वर्तमान में उपलब्ध कम्प्यूटरों में रैम दो प्रकार की होती है – स्टैटिक रैम (Static RAM or SRAM) तथा डायनेमिक रैम(Dynamic RAM or DRAM)।
स्टैटिक रैम (SRAM में संचित किए गए आंकड़े स्थित रहते हैं । इस इस प्रकार की मेमोरी में बीच के दो आंकड़े मिटा दिए जाएं तो इस खाली स्थान पर आगे वाले आंकड़े खिसक कर नहीं आएंगे । फलस्वरूप यह स्थान तब तक प्रयोग नहीं किया जा सकता जब तक कि पूरी मेमोरी को “वाश” करके नए सिरे से काम शुरू न किया जाए। डायनेमिक रैम (DRAM) का अर्थ है गतिशील मेमोरी । इस प्रकार की मेमोरी में यदि 10 आंकड़े संचित कर दिए जाएं और फिर उनमें बीच के दो आंकड़े मिटा दिए जाएं, तो उसके बाद वाले बचे सभी आंकड़े बीच के रिक्त स्थान में स्वतः चले जाते हैं और बीच के रिक्त स्थान का उपयोग हो जाता है। अर्थात स्टैटिक रैम में मेमोरी स्थान एक बार प्रयुक्त किए जाने पर उन स्थानों को दुबारा उसी प्रोग्राम में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता, जबकि डायनामिक रैम में प्रयुक्त की गई मेमोरी उपयोग के पश्चात् रिक्त की जाकर उसी प्रोग्राम में पुनः प्रयुक्त की जा सकती है। स्टैटिक रैम की गति तेज होती है और इसमें डाटा ट्रान्सफर ज्यादा तेजी से होता है इसलिए इसका इस्तेमाल प्रोसससर और कैश मेमोरी बनाने में किया जाता है। ये ज्यादा क्षमता की नहीं होते है और महंगी भी होती है। ये कम डाटा संग्रहित कर सकते है और उनका समय भी कम होता है। इसमें रेफ्रेशिंग सर्किट की जरुरत नहीं होती है। डाईनामिक रैम की गति स्टैटिक रैम की अपेक्षा कम होती है। इस प्रकार की मेमोरी को सामान्यतः मुख्य मेमोरी में इस्तेमाल किया जाता है। ये अधिक डाटा को काफी समय के लिए संग्रहित (स्टोर) कर सकती है। इस मेमोरी को बार-बार रिफ्रेश करना आवश्यक होता है इसलिए इसमें एक रेफ्रेशिंग सर्किट की आवश्यकता होती है। डाईनामिक रैम कई तरह के होते है जैसे RDRAM (रैम्ब्हस डाईनामिक रैम), SDRAM (स्टैटिक डाईनामिक रैम), DDRDRAM (दुअल डाटा रेट डाईनामिक रैम) इत्यादि.
पहले के कम्प्यूटरों मैगनेटिक कोर से बनी रैम प्रयुक्त होती थी वहीं आजकल कम्प्यूटरों में रैम सेमीकन्डक्टर पदार्थो से निर्मित होती है तथा एक चिप के रुप में होती है। इसे संक्षिप्त में सिम (SIMM) अर्थात single in-line memory module कहा जाता है। इसे चित्र में दिखाया गया
रीड ओनली मेमोरी (ROM) इस मेमोरी में लिखी गई सूचनाएं सिर्फ पढ़ी जा सकती हैं। इसमें उपयोगकर्ता (User) सूचनाएं लिख नहीं सकता। इस मेमोरी के निर्माण के समय में ही इसमें सूचनाएं लिख दी जाती हैं तथा बाद में उनको सिर्फ पढ़ा जा सकता है। अत इसमें ऐसी सूचनाएं संग्रहित की जाती हैं जिनकी आवश्यकता कम्प्यूटर के परिचालन में होती है। कम्प्यूटर को बन्द किये जाने (Switch off) पर भी इसमें लिखाई सूचनाएं यथावत रहती हैं। रीड ओनली मेमोरी दो प्रकार की होती है
प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (Programmable Read Only Memory – PROM) – इस प्रकार की मेमोरी की सूचनाएं उपयोगकर्ता की आवश्यकता के अनुसार प्रोग्रामित की जा सकती हैं। इसमें सूचनाएं लिखने के लिए विशेजा प्रकार के उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। प्रोग्रामिंत करने के पश्चात् यह ROM बन जाती है। इस तरह की मेमोरी को सिर्फ एक बार ही प्रोग्रामित किया जा सकता है।
इलेक्ट्रिकल इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी (Electrically Erasable Programmable Read Only Memory EEPROM) – EPROM जब ROM को कई बार प्रोग्रामित किए जाने की आवश्यकता हो तब इस तरह की मेमोरी को प्रयुक्त किया जाता है । इस तरह की मेमोरी में भी सूचना को कई बार लिखा और मिटाया जा सकता है तथा फिर नई सूचनाएं लिखी जा सकती हैं सूचनाओं को हटाने के लिए विद्युत किरणों की सहायता ली जाती है।
कैश मेमोरी (Cache Memory)
वर्तमान में प्रयुक्त माइक्रो प्रोसेसरों की गणना गति अत्यधिक होती है किन्तु कम्प्यूटरों में प्रयुक्त RAM की गति अधिक नहीं होती है अत इस गति की सामंजस्य बनाने के लिए कम्प्यूटरों में CPU तथा मेन मेमोरी के मध्य एक विशेष तीव्र गति की मेमोरी प्रयुक्त की जाती है। सामान्यत यह मेमोरी पेन्टियम कम्प्यूटरों में पाई जाती है किन्तु इसकी क्षमता कम रखी जाती है क्योंकि यह अधिक मूल्यवान होती है।
अधिकांश सीपीयू में विभिन्न प्राकर की स्वतंत्र कैश मेमोरी का उपयोग किया जाता है जैसे निर्देश कैश तथा डेटा कैश जिसका मुख्य उद्देश्य मेमोरी एक्सेस के औसत समय को न्यूनतम करना है और इस प्रकार कैश मेमोरी का प्रयोग सीपीयू के समग्र प्रदर्शन को बेहतर बनाता है। वर्तमान में प्रयोग किए जा रहे आधुनिक माइक्रोप्रोसेसर में सामान्यत एक से अधिक स्तर तथा पदानुक्रम की डेटा कैश में प्रयोग की जाती है। इन्हे संक्षिप्त में एल-1, एल-2, एल-3 कैश (L1, L2, L3 Level cache) आदि कहा जाता है। मेमोरी पदानुक्रम के प्रयोग का समग्र लक्ष्य, सम्पूर्ण मेमोरी तंत्र की कुल लागत को कम करते हुए अधिकतम संभव औसत अभिगम निष्पादन प्राप्त करना है
(एल-1) स्तर 1 कैश (2KB – 64 KB) – निर्देशों को सर्वप्रथम इस मेमोरी में खोजा जाता है । एल 1 कैश दूसरी स्तर की कैश मेमोरी की तुलना में बहुत छोटी होती है परन्तु यह अन्य की तुलना में अत्यंत तीव्र गति की होती है।
(एल-2) स्तर 2 कैश (256KB – 512KB) – अगर चाहा गया निर्देश एल 1 कैश में मौजूद नहीं हैं तो यह फिर L2 कैश में ढूंढा जाता है, जो एल1 कैश मोमोरी की तुलना में कुछ बड़ी होती है किन्तु इसकी गति एल1 की तुलना में कुछ कम होती है।
(L-3) स्तर 3 कैश (1 एमबी -8MB) यह कैश मेमोरी का अगला स्तर होता है इस स्तर की कैश का आकार पूर्व की सभी (एल1 तथा एल2 स्तर कैश) की तुलना में काफी बड़ा होता है किन्तु इसकी गति एल1 तथा एल2 स्तर कैश की तुलना में सबसे कम होती है किन्तु फिर भी इसकी गति सामान्य रैम की तुलना में काफी अधिक होती है।
द्वितीयक या अतिरिक्त मेमोरी (Secondary or Auxilary Memory)
प्राथमिक या मुख्य मेमोरी के अतिरिक्त कम्प्यूटर में एक और प्रकार की मेमोरी प्रयुक्त की जाती है। इस मेमोरी का उपयोग डाटा या प्रोग्राम को स्थायी तौर पर दीर्घावधि तक संग्रहित करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार की मेमोरी नॉन वोलाटाइल अर्थात् विद्युत प्रवाह बंद किए जाने पर की नष्ट न होने वाली होती है। इस मेमोरी को द्वितीयक मेमोरी या अतिरिक्त मेमोरी कहा जाता है सहायक मेमोरी की सूचना संग्रहण करने की क्षमता मुख्य मेमोरी की तुलना में कई गुना अधिक होती है तथा यह मुख्य मेमोरी से काफी सस्ती भी होती है। इसके लिए मैग्नेटिक टेप, मैग्नेटिक डिस्क, प्लॉपी डिस्क, पैन ड्राइव, सी || रोम इत्यादि प्रयुक्त की जाती है।
कम्प्यूटर में प्रोसेसिंग सीधे द्वितीयक मेमोरी से नहीं की जा सकती है किसी भी प्रकार की मेमोरी में लाना होता है इसके
प्रोसेसिंग करने के लिए डाटा अथवा निर्देश को द्वितीयक से प्राथान पश्चात् ही किसी प्रकार की प्रोसेसिंग हो सकती है।
द्वितीयक मेमोरी से प्राथमिक मेमोरी में डाटा स्थानान्तरण में लगने वाला समय एक्सेस टाइम कहलाता है अर्थात् यह वह समय होता है जो एक वांछित डाटा के डिस्क सिस्टम से प्राथमिक मेमोरी तक पहुंचाने की क्रिया में लगता है।