Strength of Computers (कंप्यूटर सिस्टम की विशेषताएँ)

Strength of Computers

Strength of Computers – आजकल कम्प्यूटर का उपयोग मानव जीवन से संबंधित लगभग हर क्षेत्र में हो रहा है, इसका कारण इसकी निम्नलिखित क्षमताएं हैं-

गति (Speed) : कम्प्यूटर का सबसे ज्यादा महत्व अपनी तेजी से काम करने की क्षमता के कारण है। कम्प्यूटर किसी भी कार्य को बहुत तेजी से कर सकता हैं कम्प्यूटर कुछ ही क्षण में गुणा / भाग या जोड/घटाव की करोडों क्रियाएं कर सकता है। यदि आपको 856 में 487 का गुणा करना हो तो इसमें आपको लगभग 1 से लेकर 2 मिनट तक का समय लग सकता है। यही कार्य पॉकेट कैलकुलेटर से करें तो वह लगभग 2 सेकेण्ड में किया जा सकता है। लेकिन एक आधुनिक कम्प्यूटर में यही प्रोग्राम दिया गया हो तो ऐसे 40 लाख ऑपरेशन एक साथ कुछ ही सेकण्ड्स में सम्पन्न हो सकते हैं। यदि वह तीव्रता से काम न कर पाता तो शायद मनुष्य के लिये चंद्रमा पर पहुंचना संभव नहीं हो पाता, न ही मौसम की भविष्यवाणी उचित समय पर हो पाती। यदि कल के मौसम की भविष्यवाणी हम आज न करके हप्ते भर बाद करें तो ऐसी भविष्यवाणी का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। कम्प्यूटर का इतना महत्व ही इसलिये है कि वह तेजी से काम कर सकता है। उसके द्वारा इतनी तेजी से गणनायें की जा सकती हैं कि प्राप्त परिणामों के बाद निश्चित रूप से कुछ समय भविष्य की तैयारी के लिए मिल सकता है। कम्प्यूटर के संदर्भ में सेकेण्ड (Second) में गणना करना अब हास्यास्पद ही समझा जायेगा। सामान्य कम्प्यूटर सेकण्ड के एक लाखवें हिस्से यानी माइक्रोसेकण्ड में काम करते हैं। आधुनिक कम्प्यूटर तो नैनो सेकेंड पीको सेकण्ड तक में कार्य करते हैं। आज कोई भी सामान्य कम्प्यूटर 18 अंकों वाली दो संख्याओं को मात्र 3 – 4 नेनो सेकेंड में जोड़ सकता है। इसी से हम कम्प्यूटर के कार्य करने की गति का अंदाजा लगा सकते हैं।

उच्च संग्रह क्षमता (High Storage Capacity) : एक कम्प्यूटर सिस्टम की डेटा संग्रहण क्षमता अत्यधिक होती है। कम्प्यूटर लाखों शब्दों को बहुत कम स्थान में संग्रह करके रख सकता है। यह सभी प्रकार के डेटा, चित्र, प्रोग्राम, खेल, वीडियो तथा आवाज को कई वर्षों तक संग्रह करके रख सकता हैं हम कभी भी यह सूचना कुछ ही सेकेण्ड में प्राप्त कर सकते हैं तथा अपने उपयोग में ला सकते हैं।

कम्प्यूटर में दो तरह की मेमोरी प्रयुक्त होती है। एक तो आंतरिक (Internal Memory) या प्रमुख (Main Memory) और दूसरी बाह्य या अतिरिक्त मेमोरी (Auxiliary Memory) आंतरिक मेमोरी तुलनात्मक रूप से बहुत छोटी होती है और किसी हद तक ही डाटा संग्रह ( Store) कर सकती है। यह सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) का ही हिस्सा मानी जाती है। यह मेमोरी, प्रोसेसिंग के समय बार-बार प्रयुक्त की जाती है। इसका कार्य एक उदाहरण से और स्पष्ट हो जायेगा।

मान लीजिये कि प्रदेश की हायर सेकेंडरी परीक्षा में 10 लाख विद्यार्थी भाग लेते हैं। तब पूरे 10 लाख विद्यार्थियों के प्राप्तांक, नाम, पते, स्कूल के नाम इत्यादि का डाटा बहुत अधिक हो जायेगा। इस पूरे डाटा को कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी में संग्रहित करना असंभव होगा। अतः एक और ऐसी मेमोरी की जरूरत हमें होती है जो सभी 10 लाख विद्यार्थियों का डाटा संग्रहित कर सके। इस मेमोरी को सहायक या अतिरिक्त मेमोरी (Auxiliary Or Secondary Memory) कहते हैं। सारा डाटा पहले सहायक मेमोरी में तैयार कर लिया जाता है, फिर इसमें से छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में डाटा मुख्य मेमोरी में लाकर, प्रोसेसिंग कर ली जाती है।

मुख्य एवं सहायक मेमोरी को इस तरह भी समझा जा सकता है। हमारे मस्तिष्क में जो ‘याददाश्त’ या ‘स्मृति’ होती है। इसे हम मुख्य मेमोरी कह सकते हैं, यह मेमोरी इतनी विशाल नहीं होती कि दुनियां का सारा ज्ञान हम उसमें संचयित कर सकें, अतः हम इसे किताबों के रूप में रख सकते हैं। अपनी जरूरत के हिसाब से कोई भी जानकारी हम किताबों से पढ़कर अपनी मुख्य मेमोरी यानी मस्तिष्क में पहुंचा सकते हैं। कम्प्यूटर में अतिरिक्त मेमोरी, मैगनेटिक टेप, हार्ड डिस्क, पैन ड्राइव, सी.डी. इत्यादि के रूप में होती है।

मुख्य मेमोरी, सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) का ही हिस्सा होती है। जिसे आजकल सेमीकण्डक्टर पदार्थ से बनाया ‘जाता है। इसे किलो बाईट या KB में मापा जाता है। 1024 अक्षरों को स्टोर करने की क्षमता को 1 किलो बाईट मेमोरी कहा जाता है। इस तरह से किसी कम्प्यूटर की मेमोरी यदि 64KB है तो इसका अर्थ है, कि उसकी मुख्य मेमोरी में 64×1024 अक्षर संग्रहित किये जा सकते हैं। कम्प्यूटरों की संग्रहण (स्टोरेज) क्षमता किलो बाईट, मेगाबाईट, गीगा बाईट ( 1012 बाईट), टेराबाइट इत्यादि में आंकी जाती है। आजकल अति सामान्य कम्प्यूटरों की मेमोरी भी कई गीगा बाईट होती है।

शुद्धता (Accuracy) : सामान्यत: कम्प्यूटर अपना कार्य बिना किसी गलती के करता है। कम्प्यूटर द्वारा गलती किये जाने के कई उदाहरण सामने आते हैं, लेकिन इन सभी गलतियों में अधिकांश त्रुटियां मानवीय होती है अर्थात वह या तो कम्प्यूटर में डेटा प्रविष्ट करते समय की गई होती है, या प्रोग्राम के विकास के समय समुचित सावधानियां न लेने के कारण। । कभी-कभी मशीन में विभिन्न कारणों से खराबी आने पर भी गलत परिणाम आ जाते हैं, फिर भी व्यवस्था ऐसी रहती है कि गलती होने पर तुंत मशीन उस खराबी के बारे में सूचना दें। उस खराबी परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।

व्यापक उपयोगिता (Versatility) : कम्प्यूटर अपनी सार्वभौमिकता अर्थात हर जगह उपयोग लाए जा सकने के गुण के कारण बडी तेजी से सारी दुनिया में छाता जा रहा है। कम्प्यूटर गणितीय कार्यों को सम्पन्न करने के साथ-साथ व्यावसायिक कार्यों तथा मनोरंजन के लिए भी प्रयोग में लाया

लगा है। कम्प्यूटर में कई डिवाइसेस जोडकर उसे और अधिक उपयोगी बना दिया गया है। कम्प्यूटर के साथ प्रिंटर संयोजित करके सभी प्रकार की सूचनाएं कई रूपों में प्रिंट कर प्रस्तुत की जा सकती हैं। कम्प्यूटर को टेलीफोन लाइन से जोडकर इंटरनेट के माध्यम से सारी दुनिया से सूचनाओं का आदान- प्रदान किया जा सकता है। कम्प्यूटर की सहायता से तरह-तरह के मनेरंजक खेल खेले जा सकते हैं, संगीत सुना जा सकता है, फिल्म देखी जा सकती है या अपनी आवाज रिकार्ड की जा सकती है। उचित प्रोग्राम लिखकर हजारों प्रकार के कार्य कम्प्यूटर द्वारा कराये जा सकते हैं।

स्वचालन (Automation) : कम्प्यूटर अपना कार्य, त्रुटि रहित प्रोग्राम (निर्देशों के एक समूह) तथा डाटा के एक बार लोड हो जाने पर स्वतः करता रहता हैं तथा बार-बार मानवीय सहायता की आवश्यकता नहीं होती । वह एक के बाद एक निर्देशों का शीघ्रता से पालन करता चला जाता है। एवं वांछित परिणाम निकाल कर आउटपुट उपकरण पर प्रेषित कर देता है या भविष्य के लिए संग्रहित कर लेता है।

सक्षमता (Diligence ) : आम मानव किसी कार्य को निरन्तर कुछ ही घण्टों तक करने में थक जाता है, कई यांत्रिक मशीनें कार्यभार अधिक होने पर खराबी के लक्षण देने लगती है । इसके ठीक विपरीत, चूंकि एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है अतः इसमें कार्यभार अधिक होने पर भी थकावट के कोई चिन्ह परिलक्षित नहीं होते हैं। यदि उचित वातावरण में इसे प्रयोग में लाया जाये तो कम्प्यूटर किसी कार्य को निरन्तर कई घण्टों, दिनों, महीनो या वर्षों तक कर सकता है तथा इस दौरान इसकी कार्यक्षमता में में न तो कोई कमी आती है और न ही कार्य के परिणाम की शुद्धता घटती है। मानव मस्तिष्क से यदि लगातार कार्य कराया जाये तो एक समय बाद उसमें थकावट आ जाती है और एकाग्रता भंग होने लगती है। इस तरह से संतुलन खोकर वह गलतियां करने लगता है जवकि कम्प्यूटर किसी भी दिये गये कार्य को बिना किसी भेद-भाव के करता है, चाहे वह कार्य रुचिकर हो या उबाऊ ।

विश्वसनीयता (Realibility) – जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है कि कम्प्यूटर में त्रुटिरहित तीव्र गति से गणना करने की क्षमता, अधिक डेटा संग्रहण, स्वचालन, डेटा की यथास्थिति में पुनःप्राप्ति, कर्मठता तथा लगातार कारय करने जैसी क्षमताएं विद्यमान हैं। यही क्षमताएं कम्प्यूटरों को आज विश्वसनीय बनाते हैं।

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